Climate Change: बिना बारिश के सूखती जमीन, गर्मी और प्यास से मरते लोग, एक साल में 43000 मौतें

Climate Change: जलवायु परिवर्तन ने दुनिया के दो सबसे गरीब इलाके ईस्ट अफ्रीका यानी हॉर्न अफ्रीका को अकाल के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसमें रीजन जिबूती, इरिट्रिया, इथियोपिया और सोमालिया जैसे देश बसे हैं। यहां हजारों लोगों की संख्या ऐसी है जो भुखमरी से तो परेशान हैं ही पानी की तलाश में भी जीवन खपा रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन को लेकर आयी वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन (WWA)की एक रिपोर्ट यहां तक दावा करती है कि अफ्रीका में सूखा पड़ने की आशंका 100 प्रतिशत बढ़ गई है। पिछले 2.6 साल से अफ्रीका में बहुत कम बारिश हुई है। पेड़ पौधे मुरझा गये हैं। इसी कारण जानवर और इंसानों की मौत हो रही है।

सोमलिया में मरे 43000 से ज्यादा

सोमालिया के लोगों पर दौहरी मार पड़ रही है। सोमालिया एक तो गृहयुद्द से जूझ रहा है। उपर से वहां सूखे ने भी लोगों पर कहर ढ़ाना शुरू कर दिया है। न्यूयार्क टाइम्स ने सोमालिया में 43000 लोगों की मौत का कारण सूखा बताया है। इनमें ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चे शामिल थे।

दुनिया पर भी पड़ सकता है असर

दनिया के किसी बड़े भूभाग पर अगर बारिश ना हुई हो। इसका असर पूरी दुनिया के मौसम पर ही पड़ेगा। इस WWA की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 70 सालों में ऐसा पहली बार हुआ की बारिश कम हुई है। इस से गर्मी 5 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। WWA रिपोर्ट बनाने वाली टीम में शामिल केन्या केन्या मौसम विभाग की मेट्रोलॉजिस्ट जॉयस किमुताई का तो यहां तक कहना है। इसी कारम से ग्लोबल वार्मिग बढ़ेगी। तापमान तेजी के साथ बढ़ रहा है। बारिश कम हो रही है। इसका असर सिर्फ अफ्रीका तक ही नहीं रहेगा। इसका असर दुनिया के बाकी हिस्सों पर भी पड़ सकता है।

ग्लोबलवार्मिंग के कारण

करीब दुनिया 18 बेस्ट वेज्ञानिकों ने क्लाईमेट को लेकर शौध किया। इसमें उन्होंने ग्लोबलवार्मिंग, बाढ़, सूखा हीटवेव और वेदर चेंज के कारणों को जानने का प्यास किया। वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर सिमुलेशन की मदद से ग्लोबल क्लाइमेट और हाईपोथेटिक क्लाइमेट की तुलना की। हमारे एटमॉस्फियर में अरबों टन कार्बन डाइऑक्साइड फैला हुआ है। ये ग्लोबल क्लाइमेट की असलियत है। इस क्लाइमेट को हाईपोथेटिक क्लाइमेट यानी बिना किसी तरह के उत्सर्जन वाले क्लाइमेट से कम्पेयर किया गया।

क्लाइमेट चेंज से नुकसान

हमने साल 2022 में क्लाईमेट चेंज के नुकसान भी देखे हैं। इंग्लैंड और पूरे युरोप मे लोग गर्मी से बेहाल हैं। पाकिस्तान में भारी बारिश से बाढ़ आ गईं। भारत में पहले हीटवेव से काफी नुकसान हो चुका है। अमेरिका में भीषण गर्मी और जंगलो में आग लग गई। दूसरी तरफ बारिश से बाढ़ आ गई। इन सबका कारण क्लाइमेट चेंज ही माना जा रहा है।

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