MP High Court ने प्राध्यापक भर्तियों को लेकर भोपाल AIIMS निदेशक को दिया निर्देश, कहा- ‘शपथ पत्र दें नहीं तो हाजिर हों’

MP High Court: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)भोपाल में होने वाली प्राध्यापकों तथा सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया के बीच में बदलाव को लेकर MP high Court ने एम्स प्रबंधन को फटकार लगाई है। इस मामले में हाईकोर्ट ने एम्स निदेशक को शपथ पत्र देने को कहा है। बता दें एम्स भोपाल में 91 डॉक्टर्स की नियुक्ति प्रक्रिया में अचानक बदलाव को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई थी। जिस पर एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि एम्स निदेशक को अगली सुनवाई 23 जून 2023 को कोर्ट पेश होना होगा। अगर वो शपथ पत्र देने में नाकाम रहते हैं।

जानें क्या है मामला

ए्म्स भोपाल ने प्रध्यापक तथा सहायक प्राध्यापक के 91 पदों की भर्ती के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसके मुताबिक आवेदन करते समय कुछ मापदंड निर्धारित किए गए थे। उन मापदंडों को रिजल्ट आने से पहले ही अचानक बदल दिया गया। बता दें पहले नियुक्ति के लिए पहले 50 अंक निर्धारित किए गए थे। इसके बाद इसकी चयन प्रक्रिया चल ही रही थी कि तभी अचानक बीच इन मापदंडों में एम्स प्रबंधन ने बड़े बदलाव कर दिए। नए बदलावों के मुताबिक परिणाम आने के पहले निर्धारित 50 अंकों को घटाकर 35 अंक कर दिया गया। इसके साथ ही अध्यापन और रिसर्च एक्सपीरियंस के जो पूर्व निर्धारित 15 अंक थे उन्हें भी हटा दिया गया।

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क्या कहना है याचिकाकर्ता का

इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के रहने वाले डॉ भीमराव रूप सिंह पवार ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दी थी। याचिकाकर्ता का आरोप था कि जब नियुक्तियां विज्ञापन में दिए मापदंड से की, लेकिन रिजल्ट से पहले मापदंड बदल दिए गए। वकील रूपराह ने तर्क देते हुए कहा कि खेल खेलने के बाद खेल के नियम नहीं बदले जा सकते। इसलिए सारी नियुक्तियां अवैध हैं।आदित्य संघी ने बताया कि याचिकाकर्ता ने 14 जुलाई 2017 को एमडी का कोर्स पूरा किया था। तो नियमानुसार रिजल्ट घोषित होने के बाद तीन महींने के अंदर यदि सरकार मेडिकल ऑफिसर के पद पर नियुक्ति नहीं देती है तो बॉंड की शर्तें स्वतः समाप्त हो जाती हैं। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि जब आजतक जॉइनिंग लेटर नहीं दिया गया इसलिए उसे बॉड की शर्तों से मुक्त कर उसके मूल दस्तावेज वापस दिलवाए जाएं।

क्या कहा हाईकोर्ट ने

हाईकोर्ट जबलपुर ने इस मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने आरोपों को जायज मानते हुए एम्स प्रबंधन से पूछा कि नियुक्ति प्रक्रिया के बीच नियमों में आपने कैसे बदलाव कर दिया ? इसके बाद एकलपीठ के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने एम्स निदेशक को निर्देश देते हुए कहा कि इस संबंध में व्यक्तिगत शपथ पत्र दाखिल करें। यदि ऐसा करने में नाकाम रहते हैं तो मामले की अगली सुनवाई में 23 जून को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा।

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