Hakki-Pikki: हक्की-पिक्की जनजाति एक आदिवासी जनजाति है जो ज्यादातर जंगली शिकार करके अपना जीवन यापन करती है।
यज जनजाति अभी भी तकनीक और आधुनिक साजो सामान से पीछे है। यह बात अलग है कि ये देश में बोली जाने वाली
कठिन भाषाएं बोल सकते हैं। उसमे तमिल तेलगू, कन्नड जैसी कठिन भाषाएं भी शामिल हैं।
गूगल जैसे रखते हैं नाम
आप सोचिए. अगर कोई अपने बच्चे का नाम रखने के लिए करेगा। अच्छा सा नाम खोजने की कोशिश करेगा। नाम नहीं मिलेगा
तो किसी से पता करेगा। उसके बाद भी नहीं मिलेगा अच्छा नाम तो आखिरी रास्ता गूगल है। वह नाम खोजने के लिए गूगल करेगा।
लेकिन इस जाति के लोग गूगल पर बच्चों के नाम खोजते नहीं बल्कि बच्चों का नाम ही गूगल रख देते हैं। गूगल सुनकर अगर आपको अजीब लग रहा है
तो आपको जानकर हैरानी होगी कि कॉफी जैसे नाम भी इस जनजाति में सुनने को मिल जाते हैं।
कर्नाटक में पायी जाते हैं ये लोग
हक्की पिक्की कर्नाटक की एक जनजाति है। यह लोग जंगलों में रहकर जीवन यापन के लिए शिकार पर निर्भर रहते हैं।
इस जनजाति के लोग बहुत ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं होते हैं. इन लोगों की आईड़ी भी ज्यादातर नहीं होती हैं। इनका ऑफिशियल डाटा मिलना भी थोड़ा मुशकिल होता है। यह जनजाति अभी भी शहरों में जिस तरह से लोग रहते हैं उस जीवन से थोड़ा सा दूर हैं।
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