Raw Vs IB : देश में पिछले कुछ समय से सुरक्षा एजेंसियां लगातार सुर्खियों में है। ऐसा इसलिए क्योंकि विपक्ष के नेताओं के द्वारा मोदी सरकार पर लगातार इसके दुरुपयोग करने के इल्जाम लगाए जा रहे हैं। आंतरिक सुरक्षा की तरह ही देश के बाहर की सुरक्षा के लिए भी हर देश के पास एक खुफिया एजेंसी होती है। देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा की जानकारी हमें इन्हीं के द्वारा मिलती है। इनके द्वारा दिए गए जानकारी की वजह से हम बड़े से बड़े खतरे को टाल सकते हैं। इन इंटेलिजेंस का काम भी बहुत कठिन होता है। ऐसे में देश में अपने IB और RAW का नाम भी बखूबी सुना होगा। लेकिन क्या आप इन दोनों के फर्क के बारे में जानते हैं अगर नहीं तो आइए इन दोनों के अंतर को जानते हैं।
आखिर क्या है आईबी ?
IB को इंटेलिजेंस ब्यूरो भी कहते हैं। यह भारत की खुफिया एजेंसी है। इस एजेंसी का काम आतंकवादियों और उग्र वादियों के मनसूबे पर नजर रखना है और देश पर आने वाले खतरे की जानकारी सैनिकों या फिर सरकार को देना है। अगर इसके स्थापना की बात किया जाए तो इसकी स्थापना अंग्रेजों के समय में हुई थी। इसका गठन अंग्रजों ने भारत के लोगों पर नजर रखने के लिए किया था। 23 दिसंबर 1887 को आईबी की स्थापना की गई थी। पहले इसका नाम सेंट्रल स्पेशल ब्रांच’ था। इसके बाद बदलकर इसे इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी कर दिया गया।
आखिर क्या होता है RAW ?
भारत में साल 1968 तक आईबी ही काम किया करती थी। इसके द्वारा ही आंतरिक और बाहरी सुरक्षा का ध्यान रखा जाता था। लेकिन साल 1962 और 1965 में युद्ध के समय आईबी जानकारियां सही तरीके से नहीं दे पा रही थी। ऐसे में सरकार के द्वारा बाहरी खुफिया ऑपरेशन के लिए 1968 में RAW की स्थापना की गई। यह भारत के अगल – बगल के देशों पर नजर रखा करती थी। इसका प्रमुख काम पाकिस्तान और चीन जैसे देशों पर नजर रखना है। वहीं बांग्लादेश के गठन में भी RAW महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। अगर सीधे रूप से कहे तो आईबी देश के अंदर की सुरक्षा की जानकारी देता है और रॉ बाहर की सुरक्षा की जानकारी दिया करता है।
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