Interesting Facts: अगर आपने ट्रेन का सफर किया होगा या कभी ट्रेन की पटरियां देखी होंगी तो ये नोटिस तो जरूर किया होगा कि कई जगहों पर एक से ज्यादा पटरियां होती हैं। एक से ज्यादा पटरियों वाले रेलवे ट्रैक को देखकर कई बार लोगों का दिमाग हिल जाता है और कभी न कभी उनके जहन में यह सवाल भी जरूर आया होगा कि आखिर ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर यानी लोको पायलट को इस बात का पता कैसे चलता है कि इतने सारे ट्रैक में से किस ट्रैक पर ट्रेन को चलाना है? आपके जहन में उठे इस सवाल का जवाब हम आपके लिए लेकर आए हैं जिसकी जानकारी खुद रेलवे के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दी गई है। तो चलिए शुरू करते हैं।
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सही ट्रैक का कैसे चलता है पता?
जब किसी जगह पर एक से ज्यादा रेलवे ट्रैक होते हैं तो होम सिग्नल से लोको पायलट को सही ट्रैक पर जाने का सिग्नल दिया जाता है। इस सिग्नल की मदद से ही लोको पायलट सही ट्रैक पर गाड़ी ले जाने में समर्थ होता है। इस बात की जानकारी खुद रेल मंत्रालय की तरफ से ट्वीट कर दी गई है।
क्या है Home Signal?
बता दें कि जहां पर किसी ट्रैक को एक से ज्यादा ट्रैक में बांटा जाता है तो उससे 300 मीटर पहले होम सिग्नल लगाया जाता है। इस पर रूट सिग्नल होता है जो सफेद रंग की लाइट होती है। यह सफेद लाइट लोको पायलट को सही ट्रैक बताने के साथ ही ट्रेन को सुरक्षित स्टेशन पर ले जाने के लिए भी सिग्नल देता है।
ट्रेन में सो जाए लोको पायलट तो किए गए हैं ये इंतजाम
अकसर लोगों के मन में सवाल आता है कि अगर ट्रेन चला रहा लोको पायलट ट्रेन में सो जाए तो क्या होगा? बता दें कि ट्रेन में दो लोको पायलट होते हैं। एक लोको पायलट तो वहीं दूसरा असिस्टेंट लोको पायलट। अगर लोको पायलट सो जाता है तो असिस्टेंट लोको पायलट ट्रेन को संभाल लेता है या फिर लोको पायलट को जगा देता है। अगर कभी दोनों पायलट सो जाते हैं तो? ऐसे में ट्रेन में ऐसी सुविधा दी गई है कि अगर दोनों लोको पायलट सो जाते हैं तो ट्रेन खुद-ब-खुद रुक जाएगी।
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