Kinnar Community : बिहार में नीतिश सरकार ने आखिरकार किन्नर समाज को जातीय जनगणना में अपना नाम दर्ज कराने की अनुमति दे दी है। इससे पहले बिहार सरकार ने एक बार किन्नर समुदाय को कोड 22 में रखने की बात की गई थी , लेकिन किन्नर समुदाय ने इस बात को विरोध किया । उनका कहना था कि इतनी सारी जातियों के कोड्स होने के बावजूद किन्नर समुदाय को कोड 22 मे क्यों रखा जाए ? इस पर काफी चर्चा करने के बाद नीतिश सरकार ने अपने पहले के फैसले में काफी सारे बदलाव करके किन्नर समुदाय को भी अपनी –अपनी जाति दर्ज कराने की अनुमति दे दी है। इससे उन्हें जाति के आधार पर कई सारे फायदे मिल सकते हैंय़
किन्नर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी और यूनियन ऑफ इंडिया ने अपने-अपने पक्ष रखे थे।सुनवाई में 15 अप्रैल , 2015 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति एके सिकरी की पीठ में किन्नर समाज को थर्ड जेंडर का दर्जा दिया था। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश था जिसने किन्नर समुदाय को थर्ड जेंडर का दर्जा दिया है। सविधान के अनुच्छेद 14 ,16, 21 के तहत किन्नर समाज को शिक्षा , रोजगारी और सामाजिक स्वीकार्यर्ता में आम नागरिक की तरह ही दर्जा मिला जाएगा ।
मध्य प्रदेश का एक मामला
मध्य प्रदेश में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था उस समय एमपी में शिवराज चौहान की सरकार थी। शिवराज सरकार ने सभी किन्नरों को अपनी जाति ओबीसी मानने को कहा था तो ऐसे में एक विधायक ने इस बात का विरोध किया था। उनका कहना था कि मैं ब्राहांण हूँ मैं क्यों अपनी जाति को ओबीसी में रखूं । इस मामले को लेकर भी काफी सारे विवाद हुए थे। अभी कुछ दिन पहले ही पटना हाईकोर्ट में किन्नर समाजसेवी रेशमा प्रासद ने जनहित याचिका दायर की थी जिसमें जाति समुदाय को लेकर बात कही गई थी . लेकिन उसे पहले ही बिहार सरकार ने इस नए फैसले की घोषणा कर दी ।
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